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भजन : तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना   

तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना 
सुख पा न जीवन भर  सुखधाम के  बिना
 तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना 

बिन पानी के नाँव चले न 
नदी बिन दीप जले 
नारी सुहागन नहीं लगे 
जब तक ना माँग भरे 
नीलकंठ कोई हो ना सका है 
विषपान के बिना 

सुख पा न जीवन भर  सुखधाम के  बिना
 तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना 

चंदन बिना  ललाट  शोभे
योगी ज्ञान बिना 
जो धनवान ना शोभित होता 
है न दान बिना 
तीर्थ तप बेकार सभी है 
हरिनाम के बिना 

तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना 
सुख पा न जीवन भर  सुखधाम के  बिना
तन  तर ना  सकेगा मूर्ख  प्राणी राम के बिना 





2 Comments

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद महाराज जी

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  2. महराज जी की जय हो

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