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भजन : माँ ने मनुष्य जन्म तुझको हीरा दिया 

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माँ ने मनुष्य जन्म तुझको हीरा दिया 
तू व्यथा  ही गवाए तो माँ क्या करे 
मूल वेदो में सब कुछ बता ही दिया 
जो समझ में न आये तो माँ क्या करे 
माँ ने मनुष्य जन्म .............  तू व्यथा ही 

अन्न दूध आदि सब खाने को दिआ 
मेवा मिष्ठान  भी माँ ने पैदा किया 
फिर भी निर्दय जीव सताने लगा 
तू अगर मॉस खाये तो माँ क्या करे 
माँ ने मनुष्य जन्म .............  तू व्यथा ही


दीन दुखियों के दिल को दुखाने  लगा 
रात दिन पाप में मन लगाने लगा 
तूने जैसा किया वैसा पाने लगा 
आज आंसू बहाये तो माँ क्या करे 
माँ ने मनुष्य जन्म .............  तू व्यथा ही

नाम माँ का तेरा पाप भी काट दे 
जो तू पाप करन से मन डांट ले 
माँ तो चाहती है तू आजा माँ की शरण 
अगर तू ही न आये तो माँ क्या करे 
माँ ने मनुष्य जन्म .............  तू व्यथा ही

छोड़ कर छलकपट आजा माँ  की शरण 
कट जाये सहज तेरा आवा गमन 
फिर भी माँ के वचन झूठ मानने लगा 
यु ही चककर लगाए तो माँ क्या करे 
माँ ने मनुष्य जन्म .............  तू व्यथा ही










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