भजन : जब जब याद पड़े रघुराईगायक : राजन जी महराज
जब जब याद पड़े रघुराईप्राण निकलना चाहे रे माईजब जब याद पड़े रघुराई
कैसे होंगे भैया मेरे तपती धरा पर और जलती धुप मेंकंकरी राहे , नंगे पाँव भाभी किस रूप में कोई न समझे पीर पराईजब जब याद पड़े रघुराई
डर लगता है भैया मुझे अब कभी न अपनाएंगेअपने हृदय का शीसा , कैसे हम निकल कर दिखाएँगेकैसे सहेंगे .... ये लम्भी जुदाई
जब जब याद पड़े रघुराईप्राण निकलना चाहे रे माईजब जब याद पड़े रघुराईजब जब याद पड़े रघुराई
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