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भजन लिरिक्स " सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी "
This Is A Very Beautiful Hindi VIVAH BHAJAN. This Bhajan Is Written By प्रातः स्मरणीय परम पूज्य साकेत वासी श्री नारायण दास जी भक्तमाली

भजन लिरिक्स 

चिर संचित मनोरथ , आज पुराउ हे सखी
सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी

बँधाऊ हे सखी  ,  अब पुराउ हे सखी
बँधाऊ हे सखी अब पुराउ हे सखी
सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी

बर के बटुका के कोर , सिय के चुनरी के छोर
आजु दुनो के बटोर के अटकाऊ हे सखी
सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी

राम प्राण के समान , सिया उनहु के प्राण
दुनो प्राणिन के प्राण में बसाऊ हे सखी
सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी

मिथला के नर नारी पर , इ कइलन छापामारी
गारी दे के बानू कसर चुकाऊ हे सखी
सिया सजना के गांठ में बँधाऊ हे सखी



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