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भजन लिरिक्स : विवाह गीत (अवध से आज मिथला में )राजन जी महराज 



अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है |
अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है ||
सजे सेहरे में देखो सांवले सरकार आये है |
अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है ||

भर्मर से काली काली तिखरी घूंघर वाली अलको पर |
छटा छहराते मौर के छयल दिलदार आये है |
अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है ||

जमीन का ज़र्रा ज़र्रा है नहाया चाँदनी में आज |
कि मिथला काश  पूनम चंदा चार आये है |
अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है ||

भले दाता जगत के है शिरोमणि दानियो में है |
ग्रहीता आज बन के ये जनक दरबार आये है || 
अवध से आज मिथला में लुटाने प्यार आये है ||

ऋचाये वेद की प्रताप जो सुन कर के अघाते है
वे सुनने रस भरी गारी  यहां ससुरार आये है 
सजे सेहरे में देखो सांवले सरकार आये है ||


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