भजन लिरिक्स : हे लाल काहे
भजन गायक : राजन जी महराज
छूटल लिलार पर पसीना
हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
शरद के परभात रहे नहीं दुपहरिया
न ही रहे जेठ के महीना हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
सिया जी के भूषण के रुन झुन के धुन सुनि
हिय के झनकार उठल वीणा हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
देखते बैदेही के विदेह होइ गइला
सिया जी के प्रेम के अधीना हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
नेह निधि नारायण सिया जी अँगूठी
तू अंगूठी के भइला नगीना हे नाथ काहे
छूटल लिलार पर पसीना
छूटल लिलार पर पसीना
हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
भजन गायक : राजन जी महराज
छूटल लिलार पर पसीना
हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
शरद के परभात रहे नहीं दुपहरिया
न ही रहे जेठ के महीना हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
सिया जी के भूषण के रुन झुन के धुन सुनि
हिय के झनकार उठल वीणा हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
देखते बैदेही के विदेह होइ गइला
सिया जी के प्रेम के अधीना हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
नेह निधि नारायण सिया जी अँगूठी
तू अंगूठी के भइला नगीना हे नाथ काहे
छूटल लिलार पर पसीना
छूटल लिलार पर पसीना
हे लाल काहे
छूटल लिलार पर पसीना
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