राजन जी महराज भजन लिरिक्स
पकड़ लो बाँह रघुराई , नहीं तो डूब जाएँगे
डगर ये अगम अनजानी , पथिक मै मूड अज्ञानी
संभालोगे नही राघव , तो कांटे चुभ जाएँगे
पकड़ लो बाँह रघुराई , नहीं तो डूब जाएँगे
नहीं बोहित मेरा नौका , नहीं तैराक मै पक्का
कृपा का सेतु बंधन हो ,प्रभु हम खूब आएँगे
पकड़ लो बाँह रघुराई , नहीं तो डूब जाएँगे
नहीं है बुधि विधा बल , माया में डूबी मती चंचल
निहारेंगे मेरे अवगुण तो प्रभु जी ऊब जाएँगे
पकड़ लो बाँह रघुराई नहीं तो डूब जाएँगे
प्रतीक्षारत है ये आँगन , शरण ले लो सिया साजन
शिकारी चल जिधर प्रहलाद जी भूल जाएँगे
पकड़ लो बाँह रघुराई नहीं तो डूब जाएँगे
नहीं तो डूब जाएँगे , नहीं तो डूब जाएँगे
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