Bhajan Lyrics : ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते है
Singer : राजन जी महराज
न जाने कौन से गुण पर
दयानिधि रीझ जाते है
नहीं स्वीकार करते है
निमंत्रण नृप सुयोधन का
विदुर के घर पहुंच कर
भोग छिलको का लगते है
न जाने कौन से गन पर
दयानिधि रीझ जाते है
न आये मधुपुरी गोपियों की
दुःख व्यथा सुन कर
द्रुपद जा की दशा पर
द्वारिका से दौड़े आते है
न जाने कौन से गुण पर
दयानिधि रीझ जाते है
न रोये वनगमन में
श्री पिता की वेदनाओं पर
उठा क्र गीध को निज
गोद में आंसू बहाते है
न जाने कौन से गुण पर
दयानिधि रीझ जाते है
कठिनता से चरण धो कर
मिले कुछ बिंदु बिधि हर को
वो चरणों तक स्वं केवट
के घर जाकर लुटाते है
न जाने कौन से गुण पर
दयानिधि रीझ जाते है
न जाने कौन से गुण पर ……