भजन : तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
बिन पानी के नाँव चले न
नदी बिन दीप जले
नारी सुहागन नहीं लगे
जब तक ना माँग भरे
नीलकंठ कोई हो ना सका है
विषपान के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
चंदन बिना ललाट शोभे
योगी ज्ञान बिना
जो धनवान ना शोभित होता
है न दान बिना
तीर्थ तप बेकार सभी है
हरिनाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
बिन पानी के नाँव चले न
नदी बिन दीप जले
नारी सुहागन नहीं लगे
जब तक ना माँग भरे
नीलकंठ कोई हो ना सका है
विषपान के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
चंदन बिना ललाट शोभे
योगी ज्ञान बिना
जो धनवान ना शोभित होता
है न दान बिना
तीर्थ तप बेकार सभी है
हरिनाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
सुख पा न जीवन भर सुखधाम के बिना
तन तर ना सकेगा मूर्ख प्राणी राम के बिना
बहुत-बहुत धन्यवाद महाराज जी
महराज जी की जय हो